उर्स-ए-आला हज़रत पर प्रस्तुत किए गए 34 शोध पत्र

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103वें उर्स-ए-आला हज़रत के मुबारक मौक़े पर कन्ज़ुल ईमान फाउंडेशन के तत्वाधान में कंकर टोला पुराना शहर बरेली शरीफ से ‘रज़वियात – एक अंतरराष्ट्रीय अकादमिक दृष्टिकोण’ (Razawiyaat – an international academic approach) के विषय पर एक दिवसीय  चौथी अंतरराष्ट्रीय आनलाइन कांफ्रेंस का आयोजन किया गया, जिस में देश विदेश से आला हज़रत पर पीएचडी करने वाले हिंदी, उर्दू, अरबी, अंग्रेजी और फ़ारसी के विभिन्न शोध कर्ताओं और विद्वानों ने हिस्सा लिया साथ ही पिछले साल हुई तीसरी अकेडमिक कांफ्रेंस (टॉपिक: संस्थाओं तथा उलेमा का राज़वियात के विषय में अकादमी योगदान) के बचे हुए शोधपत्र भी पढ़े गए ।

कंज़ुल ईमान फाउंडेशन के संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री इंजीनियर आमिर हुसैन तहसीनी साहब ने जानकारी दी के यह हमारी चौथी कांफ्रेंस है जो आला हज़रात के सौ साला उर्स से आज तक हर साल आयोजित हो रही है इस कांफ्रेंस में कुल ३४ शोध पत्र प्रस्तुत किये गए जिन में १० उर्दू के, ३ अंग्रेजी के, ८ अरबी, तीन फ़ारसी तथा तीन हिंदी के कुल २७ शोध कर्ताओं के कार्यों को आन लाइन प्रस्तुत करने का अवसर मिला | शोध विभाग के अध्यक्ष श्री यासिर रज़ा ने बताया कि आला हजरत पर शोध के विषय को साहित्यिक शब्दावली में रज़वियात कहा जाता है और इसी साहित्य के उत्थान के लिए देश विदेश की विभिन्न यूनीवर्सिटी तथा शिक्षण संस्थानों से हम लगातार सम्पर्क में हैं इसीलिए हमारे इस कांफ्रेंस में साल भर के शोध कार्यो पर उर्स के प्रथम दिन परिचर्चा होती है, यह परिचर्चा इस बार पांच चरणों में सम्पन्न हुई जिस में पांचो भाषाओं में संचालन करने वाले संचालकों में डाक्टर मुशाहिद रजवी, आमिर, मौलाना गयासुद्दीन अहमद, अकरम हुसैन क़ादरी, शकील हुदवी का महत्वपूर्ण योगदान रहा , यह कार्यक्रम २ अक्टूबर प्रातः ११ बजे से मौलाना तहसीन रज़ा खान की दरगाह के प्रथम तल से उन्ही के नवासे हसन रज़ा खान की तिलावत से प्रारम्भ हुआ और देर रात तक चला, कार्यक्रम के आयोजन का उद्घोष आला हज़रत के खानदान के मौलाना उमर रज़ा खान और मौलाना फवाद रज़ा खान के शोध पत्रों के द्वारा हुआ, इन सभी भाषाओं के बड़े विद्वान् डाक्टर इरफ़ान मुहिउद्दीन कादरी सह-प्रवक्ता सेंट जोसेफ कालेज हैदराबाद, प्रोग्राम के अंत तक कांफ्रेंस की बारीकी से निगरानी करते रहे । आला-हज़रात पर पी एच डी कर रहे तीन छात्रों अहमद वली उल्लाह सिद्दीकी (मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी, हैदराबाद), जैगम सरफ़राज़ (लन्दन यूनिवर्सिटी) और मोहम्मद अली नईमी (लीड्स यूनिवेर्सिटी यूके) शोध पत्रों को खूब सराहा गया ।l

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जनसम्पर्क अधिकारी श्री फैमी तहसीनी ने बताया की इस अंतर्राष्ट्रीय अकेडमिक शोध मंच से पांचो भाषाओं में से सब क एक एक पुस्तक का विमोचन भी हुआ इसके साथ ही संस्था से छपे हुए कुरान शरीफ के नुस्खे भी बांटे गए इस अवसर पर दरगाह के कन्ज़ुल ईमान लाइब्रेरी हाल में पांच मुख्य संचालक उपस्थित रहे जिन के द्वारा इस प्रोग्राम को इंटरनेट में लाइव किया गया

इस कांफ्रेंस में आला हज़रात पर निकलने वाले वार्षिक अकेडमिक जरनल के तीसरे एडीशन का भी विमोचन हुआ ही, जिसमे दुनिया भर के शोधकर्ताओं द्वारा लिखे गए हिंदी, उर्दू, अरबी, फ़ारसी और अंग्रेजी के शोधपत्रों को प्रकाशित किया गया, यह शोध पत्र आलाहज़रत के बताये हुए इस्लामिक द्रष्टिकोण. उनके व्यक्तित्व, सेवाभाव तथा उनकी आधुनिक विज्ञान पर ज्ञान (मॉडर्न साइंस) आधारित थे ।

इस शोध जर्नल को उर्स-ए-आलाहज़रत के मौक़े पर हर साल प्रकाशित किया जाता है और दुनिया की प्रसिद्ध यूनिवर्सिटीज़ में हर साल भेजा जाता है । इसके लिए देश-विदेश की यूनिवर्सिटी तथा शिक्षण संस्थानों से रिसर्च स्कॉलर्स, छात्र, पेशेवर और अकादमिक विद्वान हमें आन लाइन अपने शोध पत्र कंज़ुल ईमान फाउंडेशन के रिसर्च डिवीज़न को भेजते है।

कन्ज़ुल ईमान फाउंडेशन के आफिस इंचार्ज मौलाना तौहीद रज़ा के ने ये जानकारी दी कि आला हज़रत पर शोध करने वाले तथा सभी इस्लामी रिसर्च इस्कालर हमारी रिसर्च हेल्प डेस्क पर ईमेल द्वारा साल भर हमसे सहायता प्राप्त करते हैं और हम उनके अनुरोध पर ऑनलाइन सहित्य भेज देते हैं, इस रिसर्च हेल्प डेस्क का उद्गाटन गत १०० साला उर्स ए रज़वी में किया जा चुका है साथ ही इस शोध पीठ के द्वारा दुनिया भर में आलाहज़रत के नज़रिए पर किए जा रहे शोध कार्यो में रिसर्च स्कॉलर्स को लगातार हर संभव मदद प्रदान की जा रही है ।

इसी के साथ-साथ आपने ये भी जानकारी दी के  ये कांफ्रेंस आलाहज़रत पर एक बहुमुखी व बहुभाषी एकेडमिक सम्मलेन अगले साल भी होगा, जिसमें आला हज़रात पर शोध कर चुके इस्कालर को सम्मानित किया जाएगा ।

कंज़ुल ईमान फाउंडेशन बरेली के युवा अध्यक्ष श्री इंजीनियर वक़ार हुसैन ने बताया कि कंज़ुल ईमान  फाउंडेशन देश के शिक्षित नौजवानो की एक नॉन प्रॉफिट नॉन पॉलिटिकल एजुकेशनल फाउंडेशन है जिसकी शुरुआत वर्ष 2006 में हज़रत तहसीन रज़ा खान मुहद्दिस बरेलवी अलैहिररह्मा की सरपरस्ती में एक लाइब्रेरी के रूप में हुई थी और आज मौजूदा वक़्त में कंज़ुल ईमान फाउंडेशन की हिंदुस्तान के 13 शहरों में शाखाएं और यूनिट्स हैं जिनमें शिक्षा के प्रचार-प्रसार देने के लिए हर ब्रांच में एक लाइब्रेरी और एक कंप्यूटर लैब की सुविधा मौजूद है।

वर्तमान में कंज़ुल ईमान फाउंडेशन के संरक्षक और सरपरस्त हज़रत तहसीन रज़ा खान साहब अलैहिर्रहमा के साहबज़ादे हज़रत मौलाना हस्सान रज़ा खान साहब हैं। जिनकी दुआ से अंत में प्रोग्राम का समापन हुआ I कंज़ुल ईमान फाउन्डेशन का मक़सद अल्प संख्यक वर्ग के बीच आलाहज़रत द्वारा दिए 10 मूल उपदेशो की रोशनी में शिक्षा को आम करना और सामाजिक कार्यो में बढ़-चढ़ के हिस्सा लेना है। इसी के साथ साथ आपने ये भी जानकारी दी की कंज़ुल ईमान फाउंडेशन के मेंबर्स की तादाद तकरीबन 500 है जो हिंदुस्तान के अलग अलग शहरों से कंज़ुल ईमान के शिक्षा और समाज सेवा के कार्यो में सहयोग देते हैं। कंज़ुल ईमान के कार्यो की जानकारी फाउन्डेशन की वेबसाइट kanzuliman.org से ली जा सकती। इस कांफ्रेंस का संचालन क़ाज़ी शहीद आलम साहब की निगरानी में किया गया जो कि बरेली के एक बड़े आलिम हैं ।

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