प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि कोविड19 महामारी नस्ल, धर्म, रंग, जाति, पंथ, भाषा या सीमाओं को नहीं देखती है। इसलिए हमारी कोशिश और प्रतिक्रिया एकता और भाईचारे की प्रधानता वाली होनी चाहिए। हम सब इससे एक साथ जूझ रहे हैं।
उन्होने आगे कहा कि यह ऐसा बिजनेस मॉडल तैयार करने का वक्त है, जिसमें धरती के गरीबों व वंचित लोगों की देखभाल को प्रधानता दी जानी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि हर संकट एक अवसर लाता है और कोरोना वायरस के साथ भी ऐसा ही है। यह इस बात का मूल्यांकन करने का वक्त है कि अब सामने आने वाले नए अवसर क्या हो सकते हैं।
COVID-19 does not see race, religion, colour, caste, creed, language or borders before striking.
Our response and conduct thereafter should attach primacy to unity and brotherhood.
We are in this together: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) April 19, 2020
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत कोरोनावायरस महामारी के खत्म होने के बाद फिजिकल व वर्चुअल का एक सही मिश्रण बनकर जटिल मॉडर्न मल्टीनेशनल सप्लाई चेन में ग्लोबल नर्व सेंटर के तौर पर उभर सकता है। इसलिए आइए उस वक्त के लिए आगे बढ़ें और इस मौके का फायदा उठाएं।
India, with the right blend of the physical and the virtual can emerge as the global nerve centre of complex modern multinational supply chains in the post COVID-19 world. Let us rise to that occasion and seize this opportunity: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) April 19, 2020
उन्होंने कहा कि अभी चीन ने खुद को सप्लाई चेक के केन्द्र के तौर पर स्थापित कर रखा है। चीन जरूरी इक्विपमेंट्स की सप्लाई सभी लगभग सभी बड़े देशों को करता है, जिनमें अमेरिका और भारत भी शामिल हैं। हालांकि कोविड19 ने पूरी सप्लाई चेन को बिगाड़ दिया है, बीजिंग से इंपोर्ट बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे में यह बहस शुरू हो गई है कि क्या एक ही देश पर किसी चीज के लिए इतना निर्भर रहना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने अंग्रेजी वर्णमाला के पांच स्वर अक्षरों ए, ई, आई, ओ और यू से बने पांच शब्दों एडेप्टेबिलिटी यानी अनुकूलता, एफिशिएंसी यानी दक्षता, इन्क्लूजिविटी यानी समावेशिता, अपॉर्च्युनिटी यानी मौका और यूनिवर्सलिजम यानी सार्वभौमिकता के जरिए नई कार्य संस्कृति और बिजनेस माडल को अपनाने की बात कही है।