गुरुवार को संत कबीर की 620वीं पुण्यतिथि के मौके पर उत्तर प्रदेश संत कबीर नगर के मगहर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से इतिहास की गलतियों को लेकर आलोचकों के निशाने पर है।
दरअसल, मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा, ”महात्मा कबीर को उनकी ही नर्वाण भूमि से मैं एकबार फिर.. कोटि कोटि नमन करता हूं। ऐसा कहते हैं कि यहीं पर संत कबीर, गुरुनानक देव और बाबा गोरखनाथ जी ने एक साथ बैठकर के आध्यात्मिक चर्चा की थी। मगहर आकर के मैं एक धन्यता अनुभव करता हूं।”
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बता दें कि पीएम ने जिन महापुरुषों का नाम लिया वह तथ्यात्मक रुप से सही नहीं है क्योंकि बाबा गोरखनाथ का काल दोनों संतों से अलग है। बाबा गोरखनाथ का जन्म 11वीं शताब्दी में हुआ था जबकि कबीर दास का जन्म 14वीं शताब्दी के आखिर में (1398 – 1518) हुआ था जो कि 120 साल जीवित रहे थे। वहीं गुरुनानक 15वीं और 16वीं शताब्दी के मध्य में (1469-1539) रहे।
आज बरसों की कामना पूरी हुई। उत्तर प्रदेश के मगहर में संत कबीरदास जी की समाधि पर फूल चढ़ाने और उनकी मजार पर चादर चढ़ाने का सौभाग्य मिला। pic.twitter.com/R8Jo48sEZa
— Narendra Modi (@narendramodi) June 28, 2018
इस बयान के बाद से ही पीएम मोदी की तीखी आलोचना की जा रही है। हालांकि इस तरह का ये पहला मामला नहीं है। 2013 में पटना की एक रैली में नरेंद्र मोदी ने “बिहार की ताकत” का जिक्र करते हुए सम्राट अशोक, पाटलिपुत्र और नालंदा के साथ तक्षशिला का भी नाम लिया था। तक्षशिला जबकि पंजाब का हिस्सा रहा है जो कि अब पाकिस्तान में पड़ता है।
इससे पहले अमेरिकी दौरे पर पीएम मोदी ने कोर्णाक के करीब 700 वर्ष सूर्य मंदिर को 2000 वर्ष पुराना बता दिया था। पीएम मोदी ने एकबार कहा था कि जब हम गुप्त साम्राज्य की बात करते हैं तो यह हमें चंद्रगुप्त की राजनीति याद दिलाता है। दरअसल, वह जिन चंद्रगुप्त की राजनीति की बात कर रहे थे वह मौर्य साम्राज्य के थे। चंद्र गुप्त द्वितीय गुप्त साम्राज के थे।