केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी लॉकडाउन को लेकर कहा कि भारत गरीब देश है, हम माह- दर-माह लॉकडाउन की अवधि नहीं बढ़ा सकते. हमें सुरक्षा उपायों के साथ बाजारों/चीजों को खोलना होगा.
एनडीटीवी से बातचीत में उन्होने कहा, हम इस समय कोरोना वायरस के साथ ‘आर्थिक लड़ाई’ भी लड़ रहे हैं। उन्होने ये भी कहा कि यह वायरस नैसर्गिक नहीं है बल्कि लैब में तैयार किया हुआ है. उन्होंने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और इटली जैसे देशों की तुलना में भारत सुरक्षित स्थिति में नजर आ रहा है. यहां इन देशों की तुलना में कोरोना संक्रमण के काफी कम मामले सामने आए हैं.
हाईवे पर सार्वजनिक परिवहन की बहाली को लेकर केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि इस बारे में निर्णय केवल मेरे मंत्रालय के अधीन नहीं है. मैं इस मामले में सकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं और इसे लेकर आशावान हूं. गृह मंत्रालय से भी आग्रह किया है कि समय आ गया है कि सैलून और नाई की दुकानों को शुरू किया जाए.कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में उन्होंने मॉस्क और सोशल डिस्टेंसिंग रखने का बेहद अहम बताया.
गडकरी ने कहा कि उद्योग जगत की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने यहां काम करने वाले श्रमिकों को खाने और आश्रय उपलब्ध कराए.उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ इस जंग में सबसे बड़ी चुनौती पॉजिटिव बने रहने और आत्मविश्वास को बनाए रखने की है. हमें यह भरोसा केवल श्रमिकों नहीं बल्कि सभी पक्षों में जगाना होगा.
उन्होने कहा, डर के कारण प्रवासी मजदूर अपने घर लौट रहे हैं. जब हम माइक्रो, लघु और मध्यम उद्योगों को शुरू करेंगे तो वे वापस लौट आएंगे.इस दौरान उन्होंने पीएम की ओर से घोषित किए गए आर्थिक पैकेज में MSME को दी गई राहत और अन्य प्रावधानों को लेकर भी बातचीत की.