“फेक न्यूज” प्रकाशित करने पर पत्रकारों की मान्यता रद्द करने के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फैसले को पीएमओ ने वापस लेने को कहा है. फेक न्यूज़ के पूरे मामले पर टेकओवर करते हुए पीएमओ ने स्मृति इरानी के मंत्रालय से कहा कि फेक न्यूज को लेकर जारी की गई प्रेस रिलीज को वापस लिया जाना चाहिए.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीएमओ ने कहा कि यह मामला प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और प्रेस संगठनों पर छोड़ देना चाहिए. पीएमओ ने कहा कि ऐसे मामलों में सिर्फ प्रेस काउंसिल को ही सुनवाई करने का अधिकार है.
वहीँ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए नोटिफिकेश की विपक्षी दलों के नेताओं ने यह कहते हुए निंदा की थी कि सेंसरशिप गलत है. वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी ने कहा था कि यह कोई गाइडलाइंस नहीं है बल्कि नई बोतल में पुरानी शराब की तर्ज पर सेंसरशिप लगाने जैसा है.
#FLASH: Prime Minister has directed that the press release regarding fake news be withdrawn and the matter should only be addressed in Press Council of India. pic.twitter.com/KVUBeAoDhC
— ANI (@ANI) April 3, 2018
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि अगर कोई पत्रकार फेक न्यूज़ देता हसी या इनका दुष्प्रचार करते हुए पाया जाता है तो उसकी मान्यता स्थाई रूप से रद्द की जा सकती है.
वहीँ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज़ में कहा था कि पत्रकारों की मान्यता के लिये संशोधित दिशानिर्देशों के मुताबिक अगर कोई पत्रकार फेक न्यूज़ प्रकाशित या प्रसारित करना है तो पहली बार ऐसा करने पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जाएगी.
अगर पत्रकार दूसरी बार फेक न्यूज करते पाये जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिए निलंबित की जाएगी. इसी के साथ तीसरी बार उल्लंघन करने पर पत्रकार की मान्यता स्थाई रूप से रद्द कर दी जाएगी. साथ ही मंत्रालय ने कहा कि अगर फक्व न्यूज़ के मामले प्रिंट मीडिया से संबद्ध हैं तो इसकी कोई भी शिकायत भारतीय प्रेस परिषद( पीसीआई) को भेजी जाएगी.