खरगौन: देश में मॉब लिंचिंग का सिलसिला जारी है। कथित गौरक्षा के नाम पर लोगों को बेदर्दी से मारा जा रहा है और उनके हत्यारे खुले-आम घूम रहे है। महाराष्ट्र के पुणे से मोहसिन की हत्या से शुरू हुआ ये सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब तो हत्यारे बिना किसी डर के कैमरों पर गर्व के साथ अपने जुर्म का इकरार भी कर रहे है।
इस सबंध में कांग्रेस नेता मोहम्मद उमर कासमी ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होने कहा कि मॉब लिंचिंग आज देश के संविधान के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई है। उनका कहना है कि हमारे देश में भीड़ के द्वारा हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। ये जो मॉब लिंचिंग हो रही है। उसमे सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि हर तबके के लोग खासतौर से मुस्लिम और दलितों शिकार बनाया जा रहा है। लेकिन ज़्यादातर घटनाओं में मुस्लिम और बहुजन समाज के लोगों को जान गंवानी पड़ी। इसमे उदाहरण के तौर पर आप ऊना कांड से लेकर अखलाक, पहलू खान, उमर खान, जुनेद, अकबर और ताजा मामला गुजरात का है। आज मॉब लिंचिंग देश के संविधान के लिए सबसे बड़ी समस्या बन के उभरी है।
उनका कहना है कि मुसलमानों को खास तौर से, खास मकसद से टारगेट किया जा रहा है। तो सवाल ये है की जो कमजोर होता है समाज में उसको ही टार्गेट क्यों किया जा रहा है। जब हम दंगा-फसाद का इतिहास देखते हैं तो जो लोग सुरक्षित जगहों पर रहते हैं, या जिन को लाइसेंसी असलहा मिला हुआ होता है, या जो लोग पॉशकॉलोनियों में रहते हैं, वे लोग कम विक्टिम होते हैं। लेकिन जो लोग फुटपाथ पर अपनी गुजर वसर करते हैं, जो स्टेशन से, बस स्टैंड से पैदल अपने घर जा रहे होते हैं, और जिनकी रोड किनारे छोटी-छोटी खोलियां होती हैं, उनपर ही हमला होता है। यह महज़ एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि यह समस्या पूरी तरह से देश में फैली हुई है। और इसके सामने पिछले सालों से लॉ एंड ऑर्डर नतसमस्तक होता दिखाई दे रहा है।आज देश में हालात ऐसे है कि कई जगहों पर तो मुसलमान होने से बेहतर गाय होना है।
कांग्रेस नेता ने बताया, देश में 2010 से लेकर 2017 के बीच मॉब लिंचिंग की 63 घटनाएं हुई, जिसमें 28 लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। आपको जानकर हैरत होगी कि ऐसी घटनाओं में आधे से भी ज्यादा फीसदी अफवाहों पर आधारित थीं। उन्होने इंडिया स्पेन्ड पोर्टल के सर्वे का भी हवाला दिया। उन्होने बताया, मई 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से कुल घटनाओं में से 97 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। मॉब लिंचिंग की 63 घटनाओं में से 32 घटनाएं गायों से संबंधित थी, और अधिकतर मामलों में राज्य के अंदर बीजेपी सत्ता में थी। इन दिल दहला देने वाली 63 घटनाओं में मरने वाले 28 लोगों में से 86 फीसदी यानि की 24 मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल थे। साथ ही इन घटनाओं में कुल 124 लोग जख्मी हुए। कासमी ने कहा कि 4 साल की छोटी सी अवधि में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में वृद्धि लोगों की बदलती मानसिकता पर भी सवाल खड़े करती है। उन्होने कहा, मॉब लिंचिंग किसी भी सभ्य समाज में पूरी तरह अस्वीकार्य है। यह जंगल राज के समान है। इस दौरान उन्होने बीजेपी नेताओं पर भी सवाल खड़े किए।
कासमी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिह आरोपियों के घर जाकर आंसू बहाते है, केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा जमानत पर छुटे आरोपियों को माला पहना कर स्वागत करते है अख़लाक़ की हत्या में शामिल लोगों को NTPC में नॉकरी दिलाई जाती है। उन्होने कहा कि आज भारत मे भीड़ का सबसे आसान शिकार मुसलमान है। उन्होने कहा, लिंचिंग केवल कुछ लोगों की जिंदगी के खत्म होने या घायल हो जाने तक का मसला नहीं है। यह मामला प्रजातंत्र, कानून के शासन और न्याय का है। इस मामले में प्रधानमंत्री की चुप्पी उनकी सरकार की सोच की दिशा बताती है कि जो शक्तिशाली है, वही सही है। उन्होने ये भी कहा कि हमारा देश लोकतंत्र से भीड़ तंत्र की ओर जा रहा है इसके घातक नुकसान हो सकता है। केंद्र सहित राज्य सरकारों को इस सबंध में सुप्रीम की और से जारी की गई गाईडलाइंस को लागू करना चाहिए। साथ ही मोदी सरकार को मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त से सख्त कानून लाना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।