अक्सर हम बर्थडे सेलिब्रेट करते रहते हैं और इसके साथ ही अपने रिश्तेदारों के बर्थडे को भी मनाते हैं और सरकारी देते हैं मुसलमानों का इस तरह का काम करना कुछ लोगों को नागवार गुजरता है वह कहते हैं इस्लाम में जायज नहीं बर्थडे या इस तरह के किसी भी अवसर को मनाना इसके ऊपर सऊदी अरब के एक सीनियर स्कॉलर ने बयान दिया है
सऊदी अरब के काउंसिल ऑफ सीनियर स्कॉलर्स के पूर्व सदस्य डॉ. क़ैस बिन मुहम्मद अल-शेख मुबारक ने कहा है कि किसी मुसलमान को अपने या अपने रिश्तेदारों का बर्थडे मनाने में कुछ भी गलत नहीं है।
उन्होंने कहा कि बर्थडे मनाना, इसके अलावा इन्होने कहा की फर्स्ट आने पर या टॉप करने या अन्य इस तरह की किसी ख़ुशी को मनाने में कोई गलत बात नहीं है।
अल-मुबारक के अनुसार, इस तरह के सलेब्रतिओन्स करने में कोई मनादि नहीं है। वह कहते है ये ट्रेडिशनल चीज़े है इनका धर्म से कोई लेना देना नहीं है और ना इसको लेकर किसी भी तरह से इस्लाम में मनादि है इसके साथ ही वो कहते है की ये क़ुरआने पाक या हदीसो में लिखी हुई वो चीज़े जो मना है उनमे शामिल नहीं है ।
अल-मुबारक ने कहा कि ये धार्मिक अनुष्ठानों की श्रेणी में शामिल नहीं हैं जहाँ कुछ भी जोड़ना या हटाना जायज़ नहीं है। यह पैगंबर के कहने पर आधारित है: “जो कोई भी हमारे (इस्लाम) के इस मामले में कुछ नया करता है जो इसका हिस्सा नहीं है, उसे अस्वीकार कर दिया जाएगा।” इसलिए, स्कोलर्स ने सर्वसम्मति से नमाज़ के एक नए अनुष्ठान को मना करने पर सहमति व्यक्त की है जो क़ुरआन पाक और पैगंबर की सुन्नत में निर्धारित नमाज़ से अधिक है, जैसे कि दिन की पांच नमाज़ो में छटी फ़र्ज़ नमाज़ को जोड़ना ।