क़तर की राजधानी दोहा से क़रीब 15 किलोमीटर दूर उम्म सलाल में जब अपने परिवार के फार्म गार्डन पर बो सलेम (जिसका मतलब है सलेम के बेटे) ने मेरा स्वागत किया तो सबसे पहले यही घोषणा की.
एक क़रीबी मित्र के ज़रिए मेरी उनसे पहचान हुई थी और मुझे यहां आकर पुर्तगाल बनाम घाना और सर्बिया बनाम ब्राज़ील के मैचों को देखने का निमंत्रण मिला. यहां स्थानीय क़तर के नागरिकों के अलावा मध्य पूर्व के कई देशों के लोग भी थे.
ये गुरुवार का दिन था. मुस्लिम राष्ट्रों में शुक्रवार की छुट्टी होती है और आम तौर पर लोग गुरुवार की रात आराम करते हैं. लोग शाम में मैच देखने के लिए भी जुटते हैं. दो लगातार हार के बावजूद फ़टबॉल वर्ल्ड कप में अभी भी क़तर की उम्मीदें बाक़ी हैं.
राजधानी दोहा में गगनचुंबी इमारते हैं, फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप से जुड़े बड़े-बड़े सेट हैं और भविष्य से आंख मिलाता इंफ्रास्ट्रक्चर है. वहां से कुछ दूर ये मेरे लिए स्थानीय लोगों और संस्कृति को समझने का बेहतर मौका था.