रूस और यूक्रेन की जं’ग ना सिर्फ इन दो मुल्को के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए भारी पड़ने वाली है दरअसल रूस के यूक्रेन पर हम’ले के बाद वेस्टर्न कन्ट्रीज ने बेहद कड़े प्रति’बंध लगाए हैं. हालाँकि इसमें रूस का सबसे महत्वपूर्ण उद्योग गैस और तेल पूरी तरह से शामिल नहीं है.
यूक्रेन पर हम’ले के बाद रूस की इकॉनमी, बैंकिंग सिस्टम और उसकी करंसी पर भारी दबाव पड़ा है लेकिन इसके साथ ही पूरी दुनिया में चीज़ो के दाम बढ़ रहे है जिसमे खाद्य पदार्थ सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे और इसके कारण गरीबो पर इसका बहुत ज़्यादा प्रभाव पड़ने वाला है।
रूस का कहना है कि रूस के आयल एक्सपोर्ट पर पूरी तरह बैन लगाने से कच्चे तेल के दाम 300 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच सकते हैं. वहीं यूरोप रूस पर गैस, कोयले और आयल डेपेंडेन्सी को कम करने के लिए अलग रास्ता अपनाने की कोशिश कर रहा है.
यूनाइटेड नेशंस फ़िलहाल अपनी ज़रूरत की आधी गैस, कोयला और तक़रीबन एक तिहाई तेल रूस से इम्पोर्ट करता है. रूस पर निर्भरता कम करने के लिए यूनाइटेड नेशंस के नेता इस गुरुवार और शुक्रवार को बैठक करने जा रहे हैं.