रमजान का महीना बहुत पाक और मुकद्दस होता है इस महीने में अल्लाह की रहमत हर घर पर बरसती है इसके साथ ही हर मुसलमान रोजा रखता है रोजे का आगाज़ सुहूर से करता है जिसके बाद उसको खत्म मगरिब की अज़ान के साथ इफ्तार के साथ करता है लेकिन हाल ही में कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद सारे लोग हैरान हो गए और रो पड़े।
लेकिन दुनिया में कई जगह ऐसी भी है जहा रमजान हमारे आपकी तरह नहीं होते है और इसके साथ ही इनके रोज़े भी बिना सुहूर और इफ्तार के सख्त हो जाते है हम बात कर रहे है सोमालिया की जिसने 2011 में दुनिया का ध्यान तब खींचा, जब अकाल ने सवा लाख से अधिक लोगों की जान ले ली।
देश लगभग 30 वर्षों से चरम मौसम परिवर्तन, हिंसा और बीमारी से जूझ रहा है और तेजी से गंभीर जलवायु झटकों के अधीन है जो लंबे समय तक मानवीय संकट को बढ़ा रहे हैं और लोग इसके चलते भुखमरी और मौत के शिकार बन रहे है। इसके साथ ही सोमालिया में मानवीय संकट दुनिया के सबसे लंबे और सबसे जटिल संकटों में से एक है।
ये देश बिगड़ते जलवायु झटके और भयानक मौसम परिवतर्न का अनुभव कर रहा है, इसके कारण लोग वहा से तेज़ी से भाग रहे है, इन कारणों से सोमालिया में करीबी, भुखमरी, और बीमारियों ने आपने ताना बाना बुन रखा है।
ऐसे हाल में वह के मुसलमान रोज़ा रखना नहीं भूल रहे है। इसके साथ ही इफ्तार के लिए कई लोग वह इफ्तार प्रोग्राम के तहत अपने रोज़े को खोल रहे है क्योकि की बहुत से ऐसे लोग और देश है जो रमजान के मौके पर इस तरह की ज़रूरतमंद देश की मदद करते है। इसके साथ ही देश यूक्रेन और रूस के युद्ध के चलते भी महंगाई से जूझ रहा है।
इसके चलते आर्थिक विश्लेषक, डॉ शफी’ई शरीफ मोहम्मद कहते हैं, “देश उच्च मुद्रास्फीति का सामना कर रहा है, जो अब सौ प्रतिशत की वृद्धि तक पहुंचने के करीब है।” “उदाहरण के लिए, यदि आपका महीने का खर्च पिछले साल 100 डॉलर हुआ करता था, तो अब आपको रहने या जीवित रहने के लिए 200 डॉलर की जरूरत है। किराया, खाद्य ईंधन और इस प्रकार परिवहन की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। इसका लोगों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।”