अफगानिस्तान भुख’मरी से बुरी तरह से जूझ रहा है जिसके कारण माँ-बाप अपने बच्चो का पेट पालने के लिए अपने शरीर के अं’ग बे’च रहे है
तालि’बान के अगस्त 2021 में क’ब्ज़ा करने से पहले ये इल’लीगल काम होता था , लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रति’बंधों के कारण ब्लैक मार्किट तबा’ह हो गया जिसके कारण लाखों और लोग गरीबी में गिर गए।
UN के वर्तमान आंकड़ों की माने तो 24 मिलियन से अधिक लोगों यानी 59 प्रतिशत आबादी – को जीवन रक्षक मानवीय मदद की बहुत सख्त ज़रूरत है ये आकड़ा 2021 की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है।
32 वर्षीय नूरुद्दीन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया की “मुझे अपने बच्चों की खातिर ऐसा करना पड़ा।” “मेरे पास और कोई चारा नहीं था।” इसके आगे उन्होंने कहा की “मुझे अब इसका पछतावा है, “मैं अब काम नहीं कर सकता। मुझे दर्द’ होता है और मैं कुछ भी अब भारी नहीं उठा सकता हूँ।”
वेस्टर्न सिटी में यह प्रथा इतनी ज़्यादा पॉपुलर हो गई है कि पास की एक बस्ती को “वन किड’नी विलेज” से पुकारा जाने लगा है ।
एक किडनी की कीमत, जो कभी $3,500 से $4,000 (£2,600 से £3,000) तक थी, तालि’बान के सत्ता में आने के बाद से ये घटकर $1,500 (£1,100) से कम हो गई है।